
कोलकाता, पश्चिम बंगाल की राजधानी, बीते 24 घंटों से भीषण मूसलाधार बारिश की चपेट में है। तीन घंटे में 185 मिलीमीटर तक पानी गिरने से शहर की जीवन रेखा पूरी तरह चरमरा गई है। गलियों से लेकर मुख्य सड़कों तक जलजमाव है, कई इलाकों में घुटनों से लेकर कमर तक पानी भर गया है। सबसे दुखद बात यह है कि करंट लगने से सात लोगों की मौत हो गई। यह बारिश ऐसे समय हुई है जब पूरा शहर दुर्गापूजा की तैयारियों में डूबा था। नतीजा यह कि पूजा पंडालों में भी पानी घुस गया और श्रद्धालु खासे परेशान हो गए।
जलजमाव से शहर की रफ्तार थमी

कोलकाता में मूसलाधार बारिश कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार हालात बेहद बिगड़े हुए हैं। हरीश मुखर्जी नगर, पार्क सर्कस, हावड़ा, जादवपुर यूनिवर्सिटी और शालीमार जैसे इलाकों की तस्वीरें देखकर साफ लगता है कि शहर मानो तालाब में बदल गया हो। कई जगहों पर तीन से चार फीट तक पानी जमा हो गया है। लोग घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। जो लोग कामकाज या पढ़ाई के सिलसिले में बाहर निकले, वे घंटों तक जाम और पानी के बीच फंसे रहे।
सिर्फ़ आवासीय इलाकों ही नहीं, बल्कि व्यवसायिक क्षेत्रों में भी बुरी स्थिति है। दुकानों में पानी घुस गया, छोटे व्यापारी भारी नुकसान की आशंका जता रहे हैं। कई जगह रेहड़ी-पटरी वालों को अपनी दुकानें बंद करनी पड़ीं।
यातायात व्यवस्था पूरी तरह अस्त-व्यस्त

मूसलाधार बारिश का सबसे बड़ा असर परिवहन पर पड़ा। कोलकाता की लाइफलाइन कहे जाने वाले हावड़ा और सियालदह स्टेशन को अस्थायी तौर पर बंद करना पड़ा। ट्रेनों की आवाजाही घंटों रुकी रही और हजारों यात्री प्लेटफॉर्म पर फंसे रहे।
मेट्रो रेल सेवा भी प्रभावित रही। ट्रैक पर पानी भरने के कारण कई रूट बंद करने पड़े। वहीं एयरपोर्ट पर भी विमानों के संचालन में देरी हुई। कई उड़ानें डायवर्ट करनी पड़ीं, तो कई यात्रियों को घंटों इंतजार करना पड़ा।
सड़क यातायात का हाल यह रहा कि जहां गाड़ियाँ पानी में डूबने लगीं, वहीं ऑटो और बस सेवाएँ भी ठप पड़ गईं। टैक्सी चालकों ने किराया दोगुना-तिगुना तक वसूलना शुरू कर दिया, जिससे आम लोगों की परेशानी और बढ़ गई।
करंट लगने से सात मौतें
पानी भरने का सबसे बड़ा खतरा करंट लगने का होता है और यही हुआ। शहर के अलग-अलग हिस्सों में करंट की चपेट में आकर सात लोगों की मौत हो गई। हावड़ा, टॉलीगंज और कस्बा इलाके में ये हादसे हुए। मूसलाधार बारिश में खुले तार और पानी के बीच बिजली आपूर्ति ने खतरा और बढ़ा दिया।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि बिजली विभाग और नगर निगम ने पहले से कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किया। हादसों के बाद कई इलाकों में बिजली काटनी पड़ी, जिससे अंधेरे और पानी के बीच लोग दहशत में रहे।
दुर्गापूजा की तैयारियों पर गहरा असर
कोलकाता की पहचान सिर्फ़ अपने इतिहास और बाजारों से नहीं है, बल्कि दुर्गापूजा इसकी आत्मा मानी जाती है। इस बार मूसलाधार बारिश ने पूजा आयोजकों और श्रद्धालुओं की खुशी पर पानी फेर दिया।
कई पंडालों में पानी भर गया है। बांस-बल्ली और सजावटी सामग्री भीग गई, बिजली के तार डूब गए। इससे शॉर्ट सर्किट का खतरा मंडराने लगा।
पार्क स्ट्रीट, बालीगंज, बेहाला और दमदम के बड़े पंडालों में लोगों को घुसने में दिक्कत हो रही है। आयोजकों का कहना है कि लाखों रुपये खर्च करके तैयारियां की गईं, लेकिन बारिश ने सब बिगाड़ दिया। श्रद्धालु खासे नाराज हैं क्योंकि वे महीनों से पूजा का इंतजार कर रहे थे।
प्रशासन और सरकार अलर्ट
राज्य सरकार ने हालात से निपटने के लिए आपात बैठक की। नगर निगम की टीमें पंप लगाकर पानी निकालने में जुटी हैं, लेकिन भारी मात्रा में बारिश और कमजोर ड्रेनेज सिस्टम की वजह से राहत की उम्मीद कम है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अधिकारियों को आदेश दिया है कि प्रभावित इलाकों में तुरंत मदद पहुँचाई जाए। एनडीआरएफ और सिविल डिफेंस की टीमें भी कुछ जगहों पर तैनात की गई हैं।
हावड़ा और कस्बा इलाकों में हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं, ताकि लोग मदद मांग सकें। बिजली विभाग ने भी चेतावनी दी है कि लोग पानी भरे इलाकों में बिजली उपकरणों का इस्तेमाल न करें।
मौसम विभाग का अलर्ट
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि अगले 24–48 घंटों तक कोलकाता और आसपास के जिलों में भारी बारिश जारी रह सकती है। बंगाल की खाड़ी में बने लो-प्रेशर एरिया को इस स्थिति की वजह बताया जा रहा है।
अगर बारिश इसी तरह जारी रही, तो बाढ़ जैसी स्थिति भी बन सकती है। विशेषज्ञों ने कहा है कि कोलकाता का ड्रेनेज सिस्टम बरसों से अपडेट नहीं हुआ है। जब तक इसमें सुधार नहीं होगा, हर साल इसी तरह के हालात बनेंगे।
स्थानीय लोगों की परेशानियाँ
पानी से जूझते लोगों के चेहरे पर नाराज़गी साफ देखी जा सकती है। किसी का ऑफिस छूट गया, तो किसी की दुकान डूब गई। छात्र परीक्षा देने नहीं जा पाए। दिहाड़ी मजदूर काम पर नहीं पहुँच सके, जिससे रोज़गार प्रभावित हुआ।
एक स्थानीय निवासी का कहना था – “हर साल यही होता है। थोड़ी सी बारिश होती है तो सड़कें डूब जाती हैं। हम टैक्स देते हैं लेकिन सुविधाएँ नहीं मिलतीं।”
निष्कर्ष: इंफ्रास्ट्रक्चर पर उठे सवाल
कोलकाता की इस बारिश ने एक बार फिर शहरी अवसंरचना (urban infrastructure) की पोल खोल दी है। 3 घंटे की बारिश में अगर पूरा शहर ठप हो जाए, तो यह केवल प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि सिस्टम की विफलता भी है।
दुर्गापूजा के मौके पर यह आपदा और भी दुखदायी हो गई है। लाखों लोगों की भावनाओं और जीवन पर इसका असर पड़ा है। सरकार और नगर निगम को इस संकट से सबक लेकर भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
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