सरकारी गीत गाओ और पैसे कमाओ

सोशल मीडिया पर रील बनाने वाले भाइयों, बहनों, अब आपको रील बनाने के लिए तरह तरह के करतब दिखाने की जरुरत नहीं है। आप तो बस अब सरकार के चारण बनकर उनकी प्रशंसा कीजिए, सरकार की उपलब्धियों का बखान कीजिए और सरकारी कोष से मोटा धन हासिल कीजिए। जी हां भाई साहब उत्तर प्रदेश सरकार के मुखिया योगी जी ने ऐसा ही कुछ फरमान जारी कर दिया है |

आपको बताते चलें कि वैसे तो यह काम राजा महाराजा के समय से ही चलता चला आ रहा है। उस समय राजघरानों में विशेष तौर पर ऐसे चारण रखे जाते थे जो राजा की प्रशंसा में कसीदे पढ़ते थे और साहित्य की रचना कर राजा को महिमा मंडित करते थे। बदले में उन्हें स्वर्ण आभूषणों का पुरस्कार मिलता था। लेकिन समय बदला राजतंत्र खत्म हुआ, लोकतंत्र आया हर व्यक्ति को अभिव्यक्ति की आजादी मिली। लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मीडिया स्थापित हुआ और सत्ताशीर्ष पर बैठे लोगों की उपलब्धि और खामियों को उजागर करने की आजादी दी गई। हर किसी को समानता का अधिकार मिला। लेकिन एक चर्चित कहावत है – चोर के आगे ताला और बेइमान के आगे केवाला की क्या हैसियत है वैसा ही हुआ। नवगठित लोकतंत्र में अपनी गलतियों को छुपाने और खुद की प्रशंसा करवाने वालों ने नया माध्यम ढूंढ निकाला और वह था विज्ञापनों के जरिए मीडिया को प्रभावित करने का और फिर क्या था। भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले मीडिया के मुंह पर विज्ञापनों का ताला जड़ दिया गया और फिर से राजतंत्र के स्टाइल में लोकतंत्र जवान होने लगा और अब तो योगी जी ने खुल्लम खुल्ला निमंत्रण ही दे दिया है कि सरकार के गीत गाओ और पारिश्रमिक प्राप्त करो ऐसे में भला सरकारी विफलताओं को कौन उजागर करेगा?

धनबल के जरिए योगी सरकार ने मीडिया, यू ट्यूबर, सोशल मीडिया से जुड़े स्वतंत्र पत्रकारों तक को लुभावना ऑफर देकर बहलाने की जो कोशिश की है निःसंदेह इसका परिणाम लोकतंत्र के हित में अच्छा नहीं होगा। धीरे-धीरे सच्चाई उजागर करने वाले लोग इसे कमाई का साधन समझकर सरकारी प्रशंसा के गीत गाने लगेंगे और जनहित से जुड़े मुद्दों पर मानो लगाम ही लग जाएगा।

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