
भारत जैसे विकासशील देश में जब कोई बड़ा नेता या राष्ट्रपति किसी शहर का दौरा करता है, तो वह एक उत्सव की तरह मनाया जाता है। खासकर जब बात महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के धनबाद दौरे की हो, तो मानो पूरा शहर सज-धज कर तैयार हो जाता है। लेकिन इस तैयारियों की चमक के पीछे जो कड़वा सच छिपा होता है, वह कहीं न कहीं आम जनता की आंखों में चुभता है।
चमकती सड़कों के पीछे छुपा अंधकार
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का आगमन धनबाद के लिए गर्व की बात है, इसमें कोई दो राय नहीं। लेकिन क्या इस आगमन के लिए जिस तरह से सरकारी खजाने को लुटाया गया, वह एक जिम्मेदार प्रशासन की पहचान है?
सड़कें चमकाई गईं, लेकिन सिर्फ एक दिन के लिए
आईएसएम (IIT धनबाद) से लेकर बॉडी चेकिंग प्वाइंट्स, एयरपोर्ट से सिटी सेंटर तक का रास्ता आदिवासी संस्कृति की दीवार पेंटिंग और रंगीन लाइट्स से सजाया गया है। सड़कें नई बनाई गईं या फिर तात्कालिक रूप से रिपेयर की गईं, गड्ढों को भरा गया, और हर कोना कैमरे के लायक बना दिया गया।

लेकिन सवाल ये है कि क्या ये सुधार स्थायी हैं, या सिर्फ महामहिम की एक झलक के लिए?
सरकारी खजाने से लाखों की बर्बादी
धनबाद नगर निगम और जिला प्रशासन ने महामहिम के स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ी। लाखों रुपए की लागत से पंडाल, गेट, सजावट, साफ-सफाई और सड़क सुधार के काम हुए।
लेकिन एक गरीब देश में जहाँ:
कुपोषण आज भी गंभीर समस्या है
हज़ारों परिवार खुले में शौच जाने को मजबूर हैं
बेरोजगारी आसमान छू रही है
… वहाँ राष्ट्रपति के कुछ घंटों के दौरे के लिए इतनी बड़ी रकम खर्च करना आम जनता के ज़ख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है।
गरीबों पर सीधा असर: उजाड़े गए फुटपाथ दुकानदार

राष्ट्रपति के दौरे को सुचारू और “साफ-सुथरा” दिखाने के लिए प्रशासन ने उन हजारों फुटपाथ दुकानदारों को हटा दिया, जो वर्षों से वहीं अपनी दिहाड़ी मजदूरी से अपने परिवार का पेट पाल रहे थे।
- सड़क किनारे के सभी व्यवसायियों को खाली करने का आदेश
- स्कूलों में छुट्टियां, ताकि यातायात नियंत्रित रहे
- दुकानों को बंद रखने का निर्देश
क्या सिर्फ राष्ट्रपति की नज़रें कहीं न जाएं इसलिए सच्चाई को ढक देना सही है?
अगर अतिक्रमण था, तो पहले क्यों नहीं हटाया गया?
यह बात अक्सर प्रशासन कहता है कि फुटपाथ की दुकानें “अतिक्रमण” हैं। लेकिन अगर यही अतिक्रमण वर्षों से बना हुआ था, तो:
- पहले कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
- कोई पुनर्वास योजना क्यों नहीं बनाई गई?
- महामहिम के जाने के बाद क्या ये दुकानदार दोबारा लौटेंगे? और अगर लौटेंगे तो फिर से अतिक्रमण ही कहेंगे?
यह दोहरा रवैया सिर्फ दिखावे की राजनीति को उजागर करता है।
सत्ता का दिखावा बनाम जनता की ज़रूरतें
हमारे देश के नेताओं और अफसरों के रवैये से एक बात साफ होती जा रही है – “छवि सुधारो, सच्चाई को छिपाओ।“
- हर बार किसी बड़े नेता के आगमन पर शहर कुछ घंटों के लिए चमकाया जाता है
- कुछ दिन बाद फिर वही गड्ढे, गंदगी और टूटी व्यवस्थाएं लौट आती हैं
- स्थायी सुधार की कोई योजना नहीं होती
यदि यही मेहनत और संसाधन आम जनता की भलाई के लिए हर दिन लगाई जाती, तो शायद भारत में कोई फुटपाथ दुकानदार बेघर नहीं होता।
जनता का सवाल: क्या राष्ट्रपति को ये नहीं दिखेगा?

राष्ट्रपति महोदय, क्या आपसे यह अपेक्षा नहीं की जाती कि आप एक जन प्रतिनिधि होने के नाते:
- आम जनता की समस्याएं देखें?
- प्रशासन की एकतरफा नीतियों पर सवाल उठाएं?
- यह सुनिश्चित करें कि आपके दौरे से किसी गरीब की रोजी-रोटी न छीनी जाए?
यह देश का दुर्भाग्य है कि किसी ‘राष्ट्र प्रमुख’ के दौरे का मतलब बन गया है – “चमकाओ शहर, हटाओ गरीब।”
समाधान क्या है?
- स्थायी सौंदर्यीकरण योजनाएं बननी चाहिए, न कि सिर्फ दिखावे के लिए
- फुटपाथ दुकानदारों का पुनर्वास – उन्हें हटाने से पहले एक वैकल्पिक स्थान और योजना देना जरूरी है
- जनता से संवाद – प्रशासन को जनता को दुश्मन की तरह नहीं, भागीदार की तरह देखना चाहिए
- पारदर्शिता – कितने रुपए खर्च हुए, कहाँ खर्च हुए, और क्यों – यह सार्वजनिक होना चाहिए
निष्कर्ष
राष्ट्रपति का दौरा हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है। लेकिन अगर उस गर्व की कीमत गरीबों को अपना घर-बार और रोजगार गंवा कर चुकानी पड़े, तो यह समाज और प्रशासन दोनों के लिए एक आईना है, जिसमें हमें अपना चेहरा देखना चाहिए।
महामहिम का स्वागत करें, लेकिन जनता को उजाड़ कर नहीं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का धनबाद आगमन किस उद्देश्य से हुआ था?
यह आगमन मुख्य रूप से आधिकारिक कार्यक्रमों, स्थानीय परियोजनाओं का उद्घाटन और जनता से जुड़ाव बढ़ाने के लिए हुआ था।
2. इस दौरे पर सरकारी खजाने के उपयोग को लेकर विवाद क्यों हुआ?
विवाद इसलिए उठा क्योंकि स्वागत और कार्यक्रमों पर बड़ी राशि खर्च की गई, जिसे कुछ लोगों ने अत्यधिक और अनावश्यक बताया।
3. क्या इस खर्च का जनता की योजनाओं या विकास कार्यों पर असर पड़ा?
सटीक प्रभाव की जानकारी अभी सामने नहीं है, लेकिन आलोचकों का कहना है कि इन पैसों का उपयोग विकास कार्यों या बुनियादी सुविधाओं के लिए बेहतर होता।
4. क्या राष्ट्रपति के दौरों में इतना खर्च सामान्य है?
उच्च पदस्थ नेताओं और राष्ट्रपति के दौरों पर सुरक्षा, प्रोटोकॉल और कार्यक्रमों के कारण खर्च स्वाभाविक है, लेकिन इसका स्तर और प्राथमिकताएँ अक्सर बहस का विषय बनती हैं।
5. क्या स्थानीय लोगों या समुदायों को इस आयोजन से नुकसान हुआ?
कुछ रिपोर्टों में कहा गया कि व्यवस्थाओं के लिए रास्ते बंद हुए, छोटे व्यवसाय प्रभावित हुए और कुछ इलाकों में असुविधा हुई, जिससे आलोचना बढ़ी।
Suggested External Resources
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 1 अगस्त को आएंगी धनबादhttps://www.bhaskar.com/local/jharkhand/dhanbad/news/president-draupadi-murmu-will-come-to-dhanbad-on-august-1-135525520.html
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