
झारखंड के गांवों में जलजमाव की समस्या: एक अनसुलझी चुनौती
झारखंड अलग हुए आज 25 वर्ष हो गए लेकिन चंदनकियारी प्रखंड से सटे चास प्रखंड के कई गांव ऐसे हैं जिन्हे आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। कुछ गाँव ऐसे है जहाँ आज भी जलजमाव की समस्या बरकरार है, इन्हीं गांवों में से एक गांव ब्राम्हण द्वारिका का है, जहां हर बारिश के मौसम में हर गली-मोहल्लों में जल जमाव की समस्या आज भी बरकरार है। कई विधायक बदले, मंत्री बदले, सरकारें बदलीं लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।
ग्रामीण महंत कुमार का कहना है कि कई बार विधायक और मंत्री को इस संबंध में अवगत कराया गया, लेकिन किसी ने भी सुध लेना मुनासिब नहीं समझा। वहीँ ग्रामीण अविनाश कुमार का कहना है कि कई बार अधिकारी आए, मुआयना कर गए, लेकिन स्थिति में अब तक कोई बदलाव नहीं आया। उनका कहना है कि जलजमाव के कारण राहगीरों के साथ-साथ स्कूली बच्चों को भी मजबूरन पानी से होकर गुजरना पड़ता है, जिससे दुर्घटना का खतरा भी बना रहता है।

गांव की महिलाओं ने भी अपनी नाराजगी जाहिर की। उनका कहना है कि बरसात शुरू होते ही गली और मोहल्ले तालाब जैसे नजर आने लगते हैं। नालियां जाम हो जाती हैं और चारों तरफ बदबू फैल जाती है। बच्चों और बुजुर्गों का घर से निकलना मुश्किल हो जाता है। महिलाएं कहती हैं कि कई बार कीचड़ और गंदगी में फिसल कर लोग चोटिल हो जाते हैं। यही नहीं, जलजमाव के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है और डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा मंडराने लगता है।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि जलजमाव की समस्या का स्थायी समाधान सिर्फ जल निकासी व्यवस्था को दुरुस्त करने से ही हो सकता है। लेकिन अब तक कोई योजना धरातल पर उतरती नजर नहीं आई। चुनाव आते ही नेताओं की गाड़ियां गांव में पहुंचती हैं, वे बड़ी-बड़ी घोषणाएं करते हैं, लेकिन चुनाव खत्म होते ही वही नेता फिर पांच साल तक दिखाई नहीं देते।
युवाओं का कहना है कि जब राज्य अलग हुआ था तब उम्मीद थी कि गांव-गांव तक विकास पहुंचेगा, रोजगार मिलेगा, सड़क, बिजली और पानी की समस्याएं खत्म होंगी। लेकिन हकीकत यह है कि आज भी कई गांव पुराने दौर में जीने को मजबूर हैं। चास और बोकारो जैसे औद्योगिक इलाकों से नजदीक होने के बावजूद ब्राम्हण द्वारिका जैसे गांव विकास की मुख्यधारा से कटे हुए हैं।
कुछ बुजुर्ग ग्रामीणों ने कहा कि जब झारखंड अलग हुआ था, तब उन्हें लगा था कि अब उनकी आवाज सुनी जाएगी। लेकिन 25 साल गुजरने के बाद भी हालात जस के तस हैं। उनका कहना है कि बच्चों की शिक्षा प्रभावित होती है क्योंकि बरसात के दिनों में स्कूल पहुंचना भी किसी जंग लड़ने जैसा होता है। स्कूली ड्रेस गीली हो जाती है, बच्चे बीमार पड़ जाते हैं और कई बार तो वे हफ्तों तक स्कूल नहीं जा पाते।
गांव के किसान भी इस समस्या से परेशान हैं। उनका कहना है कि जलजमाव सिर्फ गलियों तक ही सीमित नहीं रहता बल्कि खेतों में भी पानी भर जाता है। धान की खेती पर इसका सबसे ज्यादा असर होता है। बरसात के मौसम में खेतों में पानी जमा रहने से फसल सड़ जाती है और साल भर की मेहनत बर्बाद हो जाती है।
ग्रामीण बताते हैं कि अधिकारी जब निरीक्षण करने आते हैं तो आश्वासन देकर चले जाते हैं। कई बार नक्शा बनाया गया, कागजों पर योजना बनी लेकिन ज़मीनी हकीकत वही रही। गांववालों का कहना है कि अब उनका धैर्य टूटने लगा है और अगर सरकार ने जल्दी ठोस कदम नहीं उठाया तो वे सड़क पर उतर कर आंदोलन करेंगे।
गांव की युवतियों ने भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि पानी और कीचड़ की वजह से शाम होते ही रास्तों से गुजरना मुश्किल हो जाता है। अंधेरे में कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं होने से डर का माहौल रहता है। महिलाएं कहती हैं कि बुनियादी सुविधाओं की कमी ने उन्हें असुरक्षित कर दिया है।
पड़ोसी गांवों के लोग भी यही शिकायत करते हैं कि चास प्रखंड के कई हिस्सों में जल निकासी की कोई उचित व्यवस्था नहीं है। लोग मजबूरी में इस हालात को झेलते हैं, लेकिन सवाल उठता है कि आखिर कब तक?
ग्रामीणों की एक और बड़ी चिंता है कि बच्चों और युवाओं का पलायन लगातार बढ़ रहा है। लोग गांव छोड़कर शहरों की ओर जा रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यहां की समस्याओं का समाधान कभी नहीं होगा। अगर यही स्थिति रही तो आने वाले समय में यह गांव और भी पिछड़ जाएगा।
झारखंड की राजनीति में गांव-गांव का विकास हमेशा मुद्दा रहा है। लेकिन हकीकत यह है कि ब्राम्हण द्वारिका जैसे गांव आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। ग्रामीणों की मांग है कि सरकार और स्थानीय प्रशासन कम से कम बारिश से पहले जल निकासी की व्यवस्था दुरुस्त करे ताकि हर साल उन्हें इस संकट से न जूझना पड़े।
Suggested External Resources
धनबाद में मानसून की पहली बारिश ने खोली नगर निगम की पोल, शहर में जगह-जगह जलजमाव से लोग परेशान – MONSOON FIRST RAIN https://www.etvbharat.com/hi/!state/monsoon-first-rain-caused-waterlogging-in-dhanbad-jharkhand-news-jhs25062002429
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