
नीरज सिंह हत्याकांड: कैंडल मार्च ने जगाई उम्मीद, इंसाफ के लिए उठीं मजबूत आवाजें
धनबाद जस्टिस फॉर नीरज संगठन की ओर से पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत आज एक सितंबर को कैंडल मार्च निकाला गया. न्याय की मांग को लेकर कैंडल मार्च जिला परिषद से शुरू होकर रणधीर वर्मा चौक तक गई. कैंडल मार्च की अगुआई पूर्व विधायक सह नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा नीरज सिंह कर रही थी.

इस कैंडल मार्च से पूर्व दोपहर में सरायढेला स्थित घटना स्थल पर श्रद्धांजलि सभा की गई. श्रद्धांजलि सभा का यह स्थल वही जगह है जहाँ 21 मार्च 2017 को नीरज सिंह समेत उनके सहयोगी अशोक यादव, ललटू महतो और मुन्ना तिवारी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. आज के इस कैंडल मार्च में बड़ी संख्या में नीरज के चाहनेवाले शामिल हुए. इस बाबत पूर्णिमा नीरज सिंह ने कहा कि वे इंसाफ के लिए आखिरी सांस तक लड़ेंगी. नीरज समेत चार लोगों के हत्या मामले में दोषियों को सजा दिलाने के लिए हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटायेंगी.
श्रद्धांजलि सभा में मौजूद लोगों की आँखों में उस घटना की यादें ताज़ा हो गईं। कई लोगों ने कहा कि 2017 की वह शाम आज भी उनके दिलों को दहला देती है। जिस बेरहमी से नीरज सिंह और उनके साथियों की हत्या की गई थी, उसने पूरे धनबाद को हिला कर रख दिया था। लोग मानते हैं कि नीरज सिर्फ एक नेता ही नहीं थे बल्कि आम जनता की आवाज थे। यही वजह है कि वर्षों बाद भी उनके समर्थक और चाहनेवाले बड़ी संख्या में एकजुट होकर इंसाफ की मांग कर रहे हैं।

कैंडल मार्च के दौरान रणधीर वर्मा चौक तक सड़कों पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। हाथों में जलती मोमबत्तियाँ और न्याय की पुकार लिए लोग शांतिपूर्वक आगे बढ़ रहे थे। भीड़ में महिलाएं, युवा, बुजुर्ग और छोटे-छोटे बच्चे तक शामिल थे। सबके चेहरे पर एक ही भाव साफ दिख रहा था— नीरज को इंसाफ मिले।
पूर्णिमा नीरज सिंह ने भावुक होकर कहा कि यह लड़ाई सिर्फ नीरज या उनके परिवार की नहीं है, बल्कि पूरे समाज की है। उन्होंने कहा कि अगर अपराधियों को सजा नहीं मिलेगी तो अपराध और अपराधियों का हौसला और बढ़ेगा। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि न्याय के लिए वे चाहे जितनी लंबी लड़ाई लड़नी पड़े, पीछे नहीं हटेंगी।

कार्यक्रम में शामिल ग्रामीणों और शहरी लोगों ने भी एक स्वर में यही कहा कि इंसाफ में देर भले हो, लेकिन देर से मिला न्याय भी समाज को राहत देता है। कई लोगों ने कहा कि जिस तरीके से नीरज सिंह ने गरीबों और मजदूरों की आवाज उठाई थी, उसी वजह से वे जनता के दिलों में आज भी जिंदा हैं।
श्रद्धांजलि सभा के दौरान लोगों ने नीरज सिंह और उनके साथियों को याद करते हुए कहा कि उनकी कमी कभी पूरी नहीं हो सकती। कुछ बुजुर्ग समर्थकों ने कहा कि नीरज एक ऐसे जननेता थे, जिनका घर हमेशा आम जनता के लिए खुला रहता था। उन्होंने गरीबों की मदद के लिए कई काम किए और हमेशा लोगों के सुख-दुख में खड़े रहे।
मार्च में शामिल युवाओं ने कहा कि आज की पीढ़ी के लिए नीरज एक प्रेरणा हैं। उनके साथ हुए अन्याय को भूलना आसान नहीं है। युवाओं ने कहा कि इस आंदोलन को जारी रखा जाएगा ताकि आने वाली पीढ़ी देख सके कि जब न्याय की आवाज दबाई गई तो समाज ने मिलकर उसका विरोध किया।
मार्च के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए थे। बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा ताकि कोई अप्रिय घटना न घटे। हालांकि माहौल पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा और लोग अनुशासन के साथ आगे बढ़ते गए।
रणधीर वर्मा चौक पहुंचकर लोगों ने नीरज सिंह और अन्य दिवंगतों की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा। इसके बाद नारे लगाए गए – “नीरज सिंह को न्याय दिलाओ”, “हत्यारों को सजा दो”। पूरा माहौल न्याय की पुकार से गूंज उठा।

कार्यक्रम के अंत में पूर्णिमा नीरज सिंह ने एक बार फिर कहा कि जब तक अपराधियों को सजा नहीं मिलती, तब तक यह लड़ाई जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता की आवाज ही सबसे बड़ी ताकत है और वे जनता के साथ मिलकर इस लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाएंगी।
Suggested External Resources
धनबाद में नीरज सिंह की याद में कैंडल मार्च, पत्नी पूर्णिमा बोलीं – “इंसाफ की जंग आखिरी सांस तक जारी रहेगी” https://khabarmantra.net/candle-march-in-memory-of-neeraj-singh-in-dhanbad-wife-purnima-said-the-fight-for-justice-will-continue-till-the-last-breath/#google_vignette
Suggested Internal Resources
धनबाद का चर्चित नीरज सिंह हत्याकांड : आज आएगा फैसला, 11 में से 10 आरोपियों पर टिकी निगाहें https://chotanagpurtimes.com/neeraj-singh-%e0%a4%a8%e0%a5%80%e0%a4%b0%e0%a4%9c-%e0%a4%b8%e0%a4%bf%e0%a4%82%e0%a4%b9-%e0%a4%b9%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%82%e0%a4%a1/

धनबाद में हुई इस घटना ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। नीरज सिंह और उनके साथियों की हत्या ने सिर्फ उनके परिवार को ही नहीं, बल्कि पूरे समाज को दुखी किया है। यह सही है कि पूर्णिमा नीरज सिंह ने इंसाफ के लिए बहादुरी से लड़ाई लड़ी है, लेकिन क्या अदालतें इतनी धीमी होनी चाहिए? यह घटना 2017 की है, और अब तक न्याय नहीं मिला। क्या यह हमारे न्याय प्रणाली की विफलता को उजागर नहीं करता? लोगों की भावनाएं और विश्वास इस मामले में बहुत गहरे हैं। क्या आपको लगता है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार और समाज को और कदम उठाने चाहिए?
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