निरसा: धनबाद जिले के निरसा अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत पंचेत और गल्फरबाड़ी ओपी क्षेत्र में इन दिनों मुर्गा लड़ाई के नाम पर लाखों रुपये का अवैध सट्टेबाज़ी कारोबार खुलेआम चल रहा है। हालांकि धनबाद SSP प्रभात कुमार ने जुआ, सट्टेबाज़ी और हर तरह की गैर-कानूनी गतिविधियों पर सख्ती बरतने का निर्देश स्थानीय पुलिस को दिया है, लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति बिल्कुल विपरीत दिख रही है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस की निष्क्रियता और मिलीभगत से यह अवैध खेल लगातार फल-फूल रहा है।

मुर्गा लड़ाई

सूत्रों के मुताबिक इन क्षेत्रों में सप्ताह के सातों दिन मुर्गा लड़ाई आयोजित की जा रही है, जिसके आड़ में बड़े पैमाने पर सट्टेबाज़ी होती है। बताया जा रहा है कि संचालक यह दावा करते हुए खुलेआम खेल करवाते हैं कि “पुलिस सब मैनेज है।” सूत्रों का यह भी कहना है कि प्रतिदिन इस अवैध खेल से 30–40 हजार रुपये की राशि स्थानीय पुलिस तक पहुंचाई जाती है, जिसके कारण कार्रवाई नहीं होती।

अवैध सट्टेबाज़ी से बन रहा अपराध का मजबूत नेटवर्कपुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में
अवैध सट्टेबाज़ी से जुड़ी सामाजिक समस्याएँनिष्कर्ष

वहीं, एक दिन में मुर्गा लड़ाई में 2 से 3 लाख रुपये तक का लेन-देन होता है। एक-एक लड़ाई में 3 से 5 हजार रुपये तक की बोली लगाई जाती है। क्यों है पंचेत और गल्फरबाड़ी ‘सेफ ज़ोन’? पंचेत ओपी क्षेत्र के कल्याणचक और गल्फरबाड़ी ओपी के दूधियापानी में नियमित रूप से मुर्गा लड़ाई का आयोजन होता है।

सप्ताह में तीन दिन पंचेत और चार दिन गल्फरबाड़ी क्षेत्र में खेल चलता है। संचालक मुख्य रूप से कुमारधुबी ओपी क्षेत्र के बताए जाते हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक माहौल शराब, जुआ और अन्य अवैध गतिविधियों से भरा रहता है। कई बार मुर्गा लड़ाई के दौरान झगड़े तक हो जाते हैं, लेकिन पुलिस की ओर से किसी तरह की रोकथाम नहीं की जा रही है।

मुर्गा लड़ाई आदिवासी समाज की पारंपरिक मनोरंजन गतिविधि रही है

मुर्गा लड़ाई आदिवासी समाज की पारंपरिक मनोरंजन गतिविधि रही है, लेकिन अब इसे अवैध कमाई का जरिया बना दिया गया है। जामदेही पंचायत के कल्याणचक फुटबॉल मैदान में आयोजित यह खेल क्षेत्र के बच्चों और युवाओं पर बुरा असर डाल रहा है। स्थानीय पुलिस पर उठ रहे सवाल SSP के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद कार्रवाई क्यों नहीं? क्या स्थानीय पुलिस की मिलीभगत से यह अवैध कारोबार चल रहा है? बच्चों को प्रभावित करने वाले इस खेल को रोकने के लिए ठोस कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे? स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों की मांग है कि SSP स्वयं इस मामले में हस्तक्षेप कर कार्रवाई सुनिश्चित करें, ताकि क्षेत्र को सट्टेबाज़ी और अवैध गतिविधियों से मुक्त किया जा सके।

निरसा और आसपास के इलाकों में मुर्गा लड़ाई के नाम पर चल रही यह अवैध सट्टेबाज़ी स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा करती है। ग्रामीणों का कहना है कि अवैध सट्टेबाज़ी केवल जुए का खेल नहीं है, बल्कि इसके साथ कई अन्य गैर-कानूनी गतिविधियों का नेटवर्क भी जुड़ा होता है। शराब, हथियार, मारपीट और आपसी विवाद जैसे मामले अक्सर इसी सट्टेबाज़ी के कारण खड़े होते हैं, लेकिन पुलिस की भूमिका संदिग्ध बनी रहती है।

अवैध सट्टेबाज़ी से बन रहा अपराध का मजबूत नेटवर्क

अवैध सट्टेबाज़ी

जिन क्षेत्रों में लगातार मुर्गा लड़ाई चल रही है, वहां स्थानीय लोगों ने कई बार देखा कि बाहरी लोग भी इस अवैध सट्टेबाज़ी में शामिल होते हैं। इससे न सिर्फ अपराधियों का जमावड़ा बढ़ता है, बल्कि छोटे बच्चों और किशोरों पर भी गलत प्रभाव पड़ता है। कई युवा जुए की लत में फंसकर आर्थिक नुकसान उठाते हैं और कई मामलों में परिवारिक तनाव भी बढ़ जाता है।

अवैध सट्टेबाज़ी का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि यह आम लोगों में अपराध को सामान्य बना देता है। जब किसी क्षेत्र में लगातार अवैध गतिविधियाँ चलती हैं और पुलिस कार्रवाई नहीं करती, तो लोगों में कानून के प्रति भरोसा टूटने लगता है। यही कारण है कि निरसा, पंचेत और गल्फरबाड़ी क्षेत्र में अवैध सट्टेबाज़ी के लिए एक सुरक्षित वातावरण बन चुका है।

स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी असर

अवैध सट्टेबाज़ी केवल मनोरंजन के नाम पर चलने वाला खेल नहीं है। यह एक ऐसा धंधा है जिसमें रोज़ लाखों रुपये का लेन-देन होता है और यह पैसा पूरी तरह काले बाजार में चला जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर इन गतिविधियों पर रोक लगे, तो क्षेत्र की सुरक्षा और अर्थव्यवस्था दोनों को फायदा होगा। अवैध सट्टेबाज़ी से जो पैसा बहता है, वह किसी विकास कार्य में इस्तेमाल नहीं होता, बल्कि अपराध को और मजबूत करता है।

पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में

निरसा में मुर्गा लड़ाई

SSP के आदेश के बाद भी स्थानीय ओपी स्तर पर कार्रवाई न होना इस बात का संकेत है कि कहीं न कहीं अवैध सट्टेबाज़ी को बचाया जा रहा है। ग्रामीणों ने कई बार कहा है कि पुलिस की टीम मौके पर पहुंचती जरूर है, लेकिन केवल औपचारिकता निभाकर लौट जाती है। इससे संचालकों के हौसले और भी बुलंद हो जाते हैं।

अवैध सट्टेबाज़ी को रोकने के लिए पुलिस को केवल छापेमारी ही नहीं, बल्कि लंबे समय तक निगरानी की आवश्यकता है। क्योंकि जैसे ही पुलिस वापस लौटती है, खेल फिर शुरू हो जाता है। संचालकों को पहले से सूचना मिल जाने की वजह से भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाती।

अवैध सट्टेबाज़ी से जुड़ी सामाजिक समस्याएँ

  • युवाओं का अपराध की ओर झुकाव
  • परिवारिक विवाद और आर्थिक तनाव
  • शराब और नशे की लत बढ़ना
  • सामाजिक माहौल का बिगड़ना

अवैध सट्टेबाज़ी केवल आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि यह सामाजिक ताने-बाने को भी कमजोर कर रही है। खासकर उन इलाकों में जहाँ आर्थिक स्थिति पहले से कमजोर है, वहां जुआ और सट्टेबाज़ी को बढ़ावा देना बच्चों और युवाओं के भविष्य को नष्ट करता है।

ग्रामीणों की बढ़ती नाराज़गी

स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर पुलिस जल्द कार्रवाई नहीं करती, तो वे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि निरसा, पंचेत और गल्फरबाड़ी क्षेत्रों में चल रही अवैध सट्टेबाज़ी से पूरा माहौल बिगड़ रहा है और लोगों का धैर्य अब टूट रहा है।

वे कहते हैं कि SSP भले ही सख्त निर्देश दे रहे हों, लेकिन स्थानीय पुलिस की निष्क्रियता और कथित मिलीभगत से अवैध सट्टेबाज़ी का यह खेल लगातार बढ़ रहा है। कई सामाजिक संगठन भी इस मामले में हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं।

जरूरी है सख्त और सतत कार्रवाई

यदि प्रशासन वास्तव में इस अवैध सट्टेबाज़ी को खत्म करना चाहता है, तो उसे निम्न कदम तुरंत उठाने चाहिए—

  • नियमित रूप से छापेमारी
  • संचालकों की गिरफ्तारी
  • इलाके में CCTV और निगरानी व्यवस्था
  • सूचनाओं के लिए हेल्पलाइन
  • पुलिस कर्मियों की जवाबदेही तय करना

अवैध सट्टेबाज़ी पर रोक तभी लगेगी जब पुलिस ईमानदारी से इस नेटवर्क को तोड़े। केवल दिखावटी कार्रवाई से समस्या खत्म नहीं होगी।

निष्कर्ष

निरसा, पंचेत और गल्फरबाड़ी क्षेत्रों में चल रही मुर्गा लड़ाई के नाम पर अवैध सट्टेबाज़ी सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि एक संगठित अवैध उद्योग बन चुका है। SSP के आदेशों के बावजूद कार्रवाई न होना इस बात का संकेत है कि सिस्टम में कहीं न कहीं खामी है, जिसे दूर करना बेहद ज़रूरी है। ग्रामीणों की बढ़ती नाराज़गी और बच्चों पर पड़ रहा नकारात्मक प्रभाव इस बात का साफ संकेत है कि अब इस अवैध सट्टेबाज़ी पर अंकुश लगाने का सही समय आ गया है।

ये भी पढ़ें :

मुर्गों की लड़ाई की VIDEO, देखिए- कैसे एक-दूसरे पर पड़े भारी https://www.aajtak.in/india/video/cock-fights-huge-public-gathering-krishna-district-andhra-pradesh-dbz-1013934-2020-01-16

“पशु तस्करी का 1 बड़ा संगीन खुलासा: धनबाद रेलवे में सामने आई इस चौंकाने वाली घटना ने सबको हिला दिया” https://chotanagpurtimes.com/%e0%a4%aa%e0%a4%b6%e0%a5%81-%e0%a4%a4%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%95%e0%a4%b0%e0%a5%80/

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *